Kuchh Kshanikaen

Wednesday, March 24, 2010

शब्द....

शब्दों की अलग बोली औ अलग परिभाषा है |
कभी ये प्यार का गीत तो कभी शकुनी का पासा है |
कभी पहर का स्वप्न तो कभी बचपन की जिज्ञासा है|
फिर कभी समय का चक्र है फिर कभी प्रेम की दिलासा है|
कभी सुरों की माला तो कभी सुबह का कुहासा है |
हाँ कभी महाशिव नेत्र है औ कभी ये दुर्गा माँ-सा है|
शब्दों की अलग बोली औ अलग परिभाषा है |

2 comments: