Kuchh Kshanikaen

Sunday, March 28, 2010

नेता जी का इंटरव्यू

हमने  उन्हें  गुफ्तगू  के  लिए  जो  सरोकार  किया ,
तो  उन्होंने  बा-मुलायजा  बा-अदब  होशियार  किया .
(फिर  मैंने  सोंचा )आपके  होश-ओ-अंदाज  खतरनाक  नजर  आते  हैं ,
बातों  से  गवार ,चेहरे  से  चोर  और  पोशाक  से  नेता  नजर  आते  हैं.

तो Interview  शुरू   हुआ
और  हमने  कहा-

नेताजी  आपकी  क्या  कद्रदानी  है ,जीत  रहे  हैं ,
लोग  पेट  काट  के  जीते  हैं ,आप  किडनी  निकल  के  सी  रहे  हैं  !
कहीं  घाटा ,कहीं  घोंटा  तो  कहीं  घोटाला  है ,
दिशाएँ  गूँज  रही  हैं  बस  आपका  ही  बोलबाला  है .


तो  नेताजी  बोले -

अब  हमें  क्या  पाता  था  बात  इतनी  भारी  हो  जाएगी ,
रिजर्वेशन  देना  ही  महा-मारी  हो  जाएगी .

होली  के  सरे  रंग  पवित्र  हैं ,खेल  लो
क्या  पाता  था  नेतागिरी  का  रंग  गाली  हो  जाएगी .

"पर  हम  सुधार  इस  व्यवस्था  में  लाएँगे "
हमारी  अर्थ -व्यवस्था  भी  "प्राण -प्यारी"  हो  जाएगी .
घोटाला  हुआ  तो  क्या , हमने  भी  लालू  से  सीखा  है
यही  अगले  चुनाव  की  नारे -बाजी  हो  जाएगी .

1 comment:

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    a visual representation of your poem! :)

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