Kuchh Kshanikaen

Sunday, April 11, 2010

कवि सम्मेलन : प्रथम संकलन



कवि सम्मेलन : ये मेरा ही लिखा हुआ एक काल्पनिक कवि सम्मेलन है| इसमें सम्मिलित हुए विभिन्न रसों के कवि और इनका क्षणिक परिचय इस प्रकार है :
* कवि दिलजोड़े 'आशिक'
* कवि फलने सिंह 'सोते'
* कवि बीमार खोते 'खसरा'
* कवि अल्लारक्खा 'नशेड़ी'
* कवि दुर्घटना
* कवि दिल-टूटे

१. कवि दिलजोड़े 'आशिक' : हमारे ये कवि जरा आशिक मिज़ाज हैं| हमेशा ऐसी कविताएँ लिखते हिं जो इनकी ही तरह दूसरे आशिको के भी काम में आये| खैर इनकी पहली कविता जो ये सुना रहे हैं वाकई में इनके ही दिल की आवाज है| कहते हैं, ये कविता सीधे दिल टक पहुचती है :)| देखते हैं फिर ,

वो राह कहाँ से लाऊं

दरवाजे हैं बंद सभी 
चाहत के , दीवानों के  
प्रियतम जो तेरे दिल तक पहुचे  
मै वो राह कहाँ से लाऊं  


मन मंदिर तो जोड़ चूका हूँ  
बंधन सारे तोड़ चुका हूँ  
अब तेरे मन को भी छू लूँ  
बस ऐसी वीणा के तार बजाऊँ  
प्रियतम जो तेरे दिल तक पहुंचे  
मै वो राह कहाँ से लाऊं  


हर पग तेरी आहट पहुचे  
हवा ये कैसे गीत सुनाए  
तुझ बिन तरसे मेरे नैना  
तुझ बिन क्यूँ अब जिया न जाए  
दिल में जो तस्वीर बसी है  
उसके कैसे चित्र बनाऊ 
प्रियतम जो तेरे दिल तक पहुचे  
मै वो राह कहाँ से लाऊं  


तेरी  अभिलाषा में डूबा  
मन मेरा हर पल कहता है  
तुझ संग लागे जबसे नैना  
रोम-रोम वंदन करता है  
सपने जो देखे हैं मैंने  
कैसे सच मै कर दिखलाऊँ  
प्रियतम जो तेरे दिल तक पहुचे  
मै वो राह कहाँ से लाऊं  
मै वो राह कहाँ से लाऊं |||||

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